आज लगता ये पल वीरान सा है सब कुछ लगता यहां अनजान सा है कैसे छोर जाएं इस क़दर हम ये शहर सबसे प्यारा हैं यहां के बीताए वो पहर लगता है कि ये दीवारें भी पूछती है हमसे क्यों बिछड़ना चाहते हो हमसे अब क्या कहें हम उससे ये वक़्त का कैसा चक्र चला कि जुदा हो रहें है हम आज उनसे आए थे हम भी यहां कुछ सपने संजोकर कि जायेंगे कुछ बड़ा मुकाम पाकर शायद खुदा को ना था ये इस वक़्त मंजूर इसलिए मंजिल अभी भी है दूर ये बूरा वक़्त भी बीत जाएगा अच्छा वक़्त फ़िर जरूर आएगा ऐ राहें ना भूलना, तू याद रखना हम आएंगे एक दिन लौटकर फ़िर...! #सपनों_का_शहर #yababa #yqdidi