ख़्वाब में यकीं को रात भर ढ़ूँढ़ता रहा उसको ढ़ूँढ़ता रहा , ख़ुद को खोता रहा , जाने कैसी उलझने है, नींद खत्म कर गयी नींद को मार कर , फ़िर चैन से सोता रहा , जिंदगी के सारे ग़म वक्त का तकाजा है एक बार सोच लिया , फ़िर उम्र भर रोता रहा , उम्र के चढ़ाव में , जिंदगी कम होती गयी चल दिए सफर में , फ़िर बस सफ़र होता रहा , एक दरख्त की चाह में , कई दरख्त काट दिए फ़िर उसकी छांव को गली गली संजोता रहा , जिंदगी के खेल में ' मनीष ' का ये हुनर रहा जो भी मिला दिल से बस उसी का होता रहा ! ! #gif #pesh-e-khidmat_ek_gazal___❤