तेरे जाने के बाद दिल फिर उन्हीं रास्तों पर निकल गया है सब कुछ वही है, और फिर भी सब कुछ बदल गया है ,वही रात वही सितारे वही समंदर, वही समंदर का किनारा और किनारे पर वही दरख़्त खड़े हैं यूं ही गुमसुम, इन सबसे बढ़ कर रेत पर तेरे कदमों के निशान हैं वैसे ही जैसे तुमने छोडे थे ,कई बार नापा है अपने कदमों से तुम्हारे कदमों को ,पर जैसे ही पानी की लहर आती कदमों का साथ छूठ जाता, पर दिल की जमीन पर जो तुमने कदम छोडे थे उन पर आज भी किसी और के पैर नहीं पड़े हैं, तेरे जाने के बाद दिल फिर उन्हीं रास्तों पे निकल गया है ..... फिर वही....