माछी तो माछी रहे गुड़ देखे ललचाये , चापलूस बोल मीठे बोल बोल लहाये !! ....................................................... माछी तो माछी रहे गुड़ देखे ललचाये , चापलूस बोल मीठे बोल बोल लहाये !! ....................................................... भावार्थ---: मेरी इन पंक्तियों में मैंने चापलूस की तुलना गुड़ से की है , माछी की तुलना उस इन्सान से की है , जिन्हे चापलूसी पसंद आती है !! आज के समय में प्रायः यह देखने में आ रहा है , सच्चे ईमानदार इन्सान की कदर नहीं , जहाँ देखो वहाँ बस चापलूसों का ही बोलबाला है !!