'सावन आयो रे' रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे, झिलमिल-झिलमिल करे पोखरिया l नदी एवं तालाब भरे, गीत गाए मेंढकिया, गाय गोरिया गीत कजरिया l आया सावन झूम के l आयो तीज त्योहार के मौसम, झूम उठी सांवरिया, हरी-हरी चूड़ियां, बिंदिया और मांगों में सिंदुरिया l हरी हरी चूड़ियां डाल के बन गई बावरिया, नाच उठी धरती- गगन नाच उठा श्याम सलोना सांवरिया l झूला झुलत करत ठिठोली, हंस हंस लोटत सखियां l आया सावन झूम के l ~सीता सिंह