परींदे की शक्ल में उड़ता नज़र आता है हर शख़्स रोज़ में। कभी तपती धूप में जलती धरा पर दानें की खोज में। कभी घनघोर बारिशों में भीगती धरा पर खाने की खोज में। आज़ का सुकून छोड़ कर फड़फड़ा रहा है कल की मौज में। परींदे की शक्ल में उड़ता नज़र आता है हर शख़्स रोज़ में।। ©Sanjay Raj Ghamta #परिंदे #बारिश #दाने #खाने #सुकून #मौज