Nojoto: Largest Storytelling Platform

जेठ की इस झुलसी बयार मे कहा रह गई कोयल की वो मधुर

जेठ की इस झुलसी बयार मे
कहा रह गई कोयल की  वो मधुर कुहू
और कहा   खो गया मोर  का वो मल्हार नृत्य
और तो और उस विरही पपिहे की भी
ह्रदय को भेदने वाली पुकार भी सुनाई नहीं देती कही भी
अम्बर के नैन भी भर भर  आते हैँ धरती की. दरारे  व जल विहीन नदियों की दुर्दशा
और  हरितिमा रहित प्रकृति का वैधव्य देख 
 कर

©Arora PR
  जेठ की झूलसी बयार
arorapr7519

Arora PR

New Creator

जेठ की झूलसी बयार #कविता

103 Views