नफ़रत इस कदर आशिकी में वहशत होने लगी मोहब्बत के नाम पर तिजारत होने लगी तराश कर पत्थर मैंने खुदा बनाया तुझको मेरे बदौलत मेरे खुदा तेरी इबादत होने लगी खूबसूरत थी तो बिकने पर उतर आई अबतो सारे शहर में तेरे हुस्न की दहशत होने लगी दुनिया में मुझ को चाहने वाले तो कम ना थे आखिर क्यों मुझे बेवफाओं की चाहत होने लगी सोचा था साथ रहकर मोहब्बत सीख जाओगी ना जाने क्यों पागल दिल को ऐसी हसरत होने लगी अब क्यों ना रहे मलाल जमाने से मुझको जमाने में बेहयाई की जब इज्जत होने लगी जब से उतरा है तेरे शराफत का मुखौटा अंकित मुझेे अपने आप से नफरत होने लगी #नफरत #बेवफा #बेहया