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दर्द के दर्द को,किस हद तक छिपाना आ गया। दिखते नही

दर्द के दर्द को,किस हद तक छिपाना आ गया।
दिखते नही हैं अश्क,अब मुस्कराना आ गया।।
खंजर नही था हाथ में,फिर भी कत्ल कर दिया।
अब कहते हैं वह लोगों से,देखो दीवाना आ गया।।

©Shubham Bhardwaj
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