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स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का  नाम सुनो सोन

स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का 

नाम सुनो

सोने की चिड़िया था भारत  कैसे बनाया 

काम सुनो

पिता हुए गन्धर्व सेन थे, खुद राजा 

उज्जैन हुए 

नाम विक्रमादित्य चर्चा सुनते उनके 

गहन हुए 

एक बहन दो भाई जन्मे सबसे छोटे 

कहलाते है

सौम्य दर्शन वीर मति के प्यारे सूत 

कहलाते है 

चले आज पदचिन्हों पे चलते है बड़े अनूठे 

काम सुनो 

स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का 

नाम सुनो 

नौ रत्नों को रखने वाले पहले राजा 

कहलाते है

सदा धर्म की जीत हुई वो अधर्म मिटाने 

आते है

न्यायप्रिय थे जन जन के राजा देवो जैसी

वाणी थी

राज पाट था लम्बा चौड़ा नीति भी बहुत

कल्याणी थी

सर्वगुण सम्पन्न हुए थे जग का कर बैठे

कल्याण सुनो

स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का 

नाम सुनो  

मिले अरब मे लिखा आज भी वीरो में

गिनती पाई है 

नाम उपाधि बना वीर का कितने वीरों ने

पाई है

नामी नो के नो रत्न हुए पर कालिदास

कुछ ख़ास हुए 

अभिज्ञान शकुंतलम मे भारत के पन्ने

ओपन इतिहास हुए

खोए हमने पाए फिर से श्री कृष्ण और

राम सुनो

स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का 

नाम सुनो

लगा सनातन मिटने वाला जब अभियान

चलाया था 

फिर से शिव विष्णु के मन्दिर खोया गौरव

पाया था

बहुत बडी थी सेना उनकी रण गर्जन और

हुंकार हुई

जहां लड़े बस जीत बीर की नही कही पे

हार हुई

आज करे गुणगान वीर का थे भारत मां

की शान सुनो

स्वर्णकाल जो लेके आए उस देवगुणी का 

नाम सुनो


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #विक्रमादित्य