सुकून के अब दो पल कहां, सब अपनी ही जिन्दगी में मस्त हैं। किसी से मिलने का कोई पल नहीं, सब अपनें में ही व्यस्त हैं।। कोई बीती बात में खोया हैं, कोई आने वालें कल की चिंता में हैं। कैसे करूं व्याख्यान यहां, कोई दुःख व सुख के कारण चिंता में हैं।। कभी अंधियारे, कभी उजियारे में, हर कोई सुकून के पल ढूंढ़ता हैं। खो जाता अपनें ख्यालों में वो इतना, दर दर मारा मारा फिरता हैं।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-65 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।