इक चराग जला ज्यों ही,रौशन हो गईं फिजायें। एक दर्द जगा दिल में,उनकी आने लगी सदायें। चाँद रात में हर शय की परछाई में सर्द हवाएँ, अपने हाथों से करके इशारे मेरा दर्द बढ़ायें। तन्हाई,खामोशी,बेचैनी,मदहोशी सब साथ हैं मेरे, पर जाने क्यूँ ये चाँद रात मुझको रास न आये। सरगोशी करती हवाएँ जैसे कह रही हों मुझसे, तुम दो सन्देशा मुझको हम जा के पहुंचा आएं। जीवन के साहिल पे बैठा सोच रहा हूँ मैं ये, गुजर रहे हैं याद में जिसके,उसको याद न आये। Read here👇👇👇👇... इक #चराग जला ज्यों ही,#रौशन हो गईं फिजायें। एक दर्द जगा दिल में,उनकी आने लगी #सदायें। चाँद रात में हर #शय की #परछाई में #सर्द हवाएँ, अपने हाथों से करके #इशारे मेरा #दर्द बढ़ायें। #तन्हाई,#खामोशी,#बेचैनी,#मदहोशी सब साथ हैं मेरे,