गुफ्तगू खुद ही से मेरी आजकल, हर पहर रहने लगी हैं, खामोशियाँ भी नज़दीक मेरे, शाम-ओ-सहर रहने लगी हैं, ये शोरगुल हर रोज़ की आपाधापी का अब चुभने लगा हैं, मेरी मसरूफियत भी जाने, किसी ओर शहर रहने लगी हैं !¡ वक्त की कैद में ✨💫 #अनकहेअल्फ़ाज़ #yqdidi #yqhindiquotes #yqhindipoetry #yqhindiquotes #yqmidnighthoughts #yqmyquotes