जिंदगी के उस मोड़ पर हूं जहां ना कोई अपना दिख रहा ना पराया यहां हर रिश्ते ने मिलकर मुझे हराया क्या कहूं की किसका ज्यादा दोष है यहां तो अपनो से ही मिली , बुरी नजर रखने वाली अागोश है ऐसा कैसा मोड़ है ये आया जहा ना किसी की सुन सकते ना अपनी कह सकते बहुत बार दुआ है करते की, काश हम इन सबसे दूर रह सकते जहां अपना खुद का एक मुकाम होता ना कोई सोच गलत रखता , और ना ही कोई गलत काम होता बात बात पर यहा सुन ना है पड़ता की तू अपना नहीं बेगाना है तुझे यहां नहीं दूसरे घर जाना है ये तो बस दिल बहलाने का एक बहाना है वरना अपना कहा बना यहां ठिकाना है सांसे चल रही है पर जिंदगी रुक सी गई है ये कभी किसी की ना सहने वाली लड़की आज अपनो के सामने ही झुक सी गई है ये कैसा मोड़ है की जहा कुछ कर नही सकते ये जीवन ऐसा है की अपनी मर्जी से , हम मर भी नही सकते सौ इल्जाम लग जाते है जब, जरा सा कुछ करदे तो अच्छे तब भी नहीं बनते जब, हम मजबूर होकर सबको खुशी दे तो तब भी हमारा कुछ करने में कहीं नाम नही आता अपने आपको सब महान बोलके, हमारे ऊपर इल्जाम ही आता यहां सबने एक एक करके हमको हर जगह पे हराया जिंदगी के उस मोड़ पर हूं जहां ना कोई अपना दिख रहा ना पराया।। ©Kusu Simran #kusum #kususimran #kavita #jajbat #SAD #Poetry #Emotional #Dil #jindgi #ahsaas