"अन्तर्द्वण्द एवं चिरसमाधि पथ प्रशस्तिकरण" (In the caption) ************************ मृत्यु आलिंगन मेरा करती नहीं है प्राण को मैं स्वर्ग करना चाहता हूँ। प्रभु ! एक ही पथ है हमारे हाथ में, नरदेह का उत्सर्ग करना चाहता हूँ।।. एक दीपक रोशनी का जल रहा था, एक आँधी भी तिमिर में बह रही थी। कल अचानक रागिनी ने राग छेड़ा,