محبتوں میں دکھاوے کی دوستی نہ ملا اگر گلے نہیں ملتا تو ہاتھ بھی نہ ملا بشیر بدر آج کا موضوع ہے، دکھاوے کی دوستی اس موضوع پر کوئی شعر یا نظم لکھیں۔ شکریہ۔ 'दिखावे की दोस्ती' आज का मौज़ूअ है। जिस पर कोई शेर या नज़्म लिख सकते हैं। इसी मौज़ूअ पर बशीर बद्र साहब लिखते हैं। मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला.. तो आप भी लिखिये।