प्रेमरस करुणा, पियूस का प्रवाह हो, मानवीय मूल्य ही मनुष्यता की चाह हो, हो समग्र विश्वबंधु प्रेम की परम्परायें, रागद्वेष हीन राष्ट्र एकता की राह हो। पी.एल.सोनी वसुधैव कुटुम्बकम