ससुराल का ताना बहुत सुंदर है ससुराल का ताना याद दिला देता है वह बीता हुआ, मायका का जमाना!! यह किस्सा आज का नहीं है पीढ़ी दर पीढ़ी पुराना!! चाहे कितना भी सुन लो ताना फिर भी काम ना करने का मिलता नहीं कोई बहाना !! बहुत सुंदर है ससुराल का यह ताना सासू मां कहे कितना भी सुनाऊं ताना फिर भी है तुमको अपने मायके की लाज बचाना!! छोटी सी बात को सर पे उठा लेती है जब मेरी प्यारी सासू मां तब ना रह जाता पैर तले, थोड़ी सी जमीन ना थोड़ा सा आसमान!! चिकनी- चिकनी बातों से सास ननंद जेठानी सबको है जल्दी-जल्दी पटाना !! रिश्ता ऐसा सास बहू का प्यारा जैसे हो कोई सब्जी बिना मसाला !! चाहे कितना भी सुन लो ताना , फिर भी हंस के है ससुराल का प्यार भरा हर रिश्ता निभाना!! मैंने सोच लिया जब मुझे परेगा , इस रिश्ते में आना ना मुझे सुनाना ताना क्योंकि आएगा मेरा भी जमाना !! ना उसे हर पल सताना नई सोच के साथ , बहु को बेटी है बनाना !! तभी तो बदलेगा जमाना , बहुत सुंदर है ससुराल का यह ताना!! © Dr Kumari Richa sasural pe kavita