जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल, परवरदिगार कुबूल करता है इश्कबाजों की गुजारिश, तलबगारों के सब्र की अपनी पहचान है।। •। तलब ।• '''''''''''''''''' ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए, हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए। बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए। ख़सारा- loss