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जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल, परवरदिगार कुबूल करता है

जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल,
परवरदिगार कुबूल करता है
इश्कबाजों की गुजारिश,
तलबगारों के सब्र की अपनी पहचान है।। •। तलब ।•
''''''''''''''''''
ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए,
हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए।
बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, 
मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए।

ख़सारा- loss
जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल,
परवरदिगार कुबूल करता है
इश्कबाजों की गुजारिश,
तलबगारों के सब्र की अपनी पहचान है।। •। तलब ।•
''''''''''''''''''
ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए,
हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए।
बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, 
मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए।

ख़सारा- loss
sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Growing Creator