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उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। उसकी

उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। उसकी आहटों से मैं थोड़ा थोड़ा डर रहा था ,

मुड मुड कर देखता तो किसे ,

कोई था भी तो नही  ,

ज़रा रुक कर ज़रा थम कर ,

इंतज़ार जो किया ,

आया जो सामने वो ,

मैंने पहचान भी लिया ,

कोई और नही मेरा साया ही था ,

जो मुझे कल खिंचा कर रहा था ,

आज वही मेरा पीछा कर रहा था ।।
उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। उसकी आहटों से मैं थोड़ा थोड़ा डर रहा था ,

मुड मुड कर देखता तो किसे ,

कोई था भी तो नही  ,

ज़रा रुक कर ज़रा थम कर ,

इंतज़ार जो किया ,

आया जो सामने वो ,

मैंने पहचान भी लिया ,

कोई और नही मेरा साया ही था ,

जो मुझे कल खिंचा कर रहा था ,

आज वही मेरा पीछा कर रहा था ।।