जिसमे पेडों के झुर्मटों से आशा रूपी परिंदे उड़ें और सच और झूठ नफरत और तिरस्कार जात और धर्म की दीवारों को लाँघते बैठें हमारे पास गायें नया गान प्यार और सहानुभूति का हो संचार सुप्रभात। एक सुबह ऐसी भी हो, जो सपनों के जैसी हो... #एकसुबह #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi