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ऐसी इल्तिज़ा न कीजिये हुजुर, पतझड़ का आया सूखापन है,

ऐसी इल्तिज़ा न कीजिये हुजुर,
पतझड़ का आया सूखापन है,
आसानी से हरियाली हो जाये,
यहाँ न खिलेंगे इश्क़ के फूल। 🌝प्रतियोगिता- 162🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"इल्तिजा"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
ऐसी इल्तिज़ा न कीजिये हुजुर,
पतझड़ का आया सूखापन है,
आसानी से हरियाली हो जाये,
यहाँ न खिलेंगे इश्क़ के फूल। 🌝प्रतियोगिता- 162🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"इल्तिजा"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I