-परम सत्य योगपथ- अक्सर कहते हैं लोग मुझसे कि तुम हमेशा भीड़ से अलग क्यों रहते हो अब भला कैसे समझाऊँ मैं उनको कि जिसके बस में हैं ये प्राणी सारे मैं उस श्री कृष्ण नाम का सेवक हूँ और हर वक्त साथ उन्हें मैं अपने पाता हूँ फिर कैसे कोई कहता है मुझको कि मैं तन्हा ही रह जाता हूँ जब भी जगी कुत्सित कोई दुर्भावना मन में मैं खुद ही आत्मविश्लेषण कर उसे निरस्त कर आता हूँ और भीड़ की महफिल पसंद नहीं है हमें इसलिए खुद को अलग कर मैं वहाँ अक्षुण्ण रहता हूँ मैं बस कृष्ण नाम का सेवक हूँ और श्री कृष्ण नाम का सुमिरन कर खुद ही खुद से स्वयं में मिल महफिल रोज लगाता हूँ -Amar Bairagi #मेरेएहसास केवल अध्यात्म -Quote लेखन अवकाश-