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वंश को बढ़ाना हो, या ज़िंदगी को सँवारना हो एक ही लफ्

वंश को बढ़ाना हो, या ज़िंदगी को सँवारना हो
एक ही लफ्ज़ ज़ुबां पर आता है- शादी!
दो अक्षरों का ये शब्द, जो कि सम्पूर्ण है ख़ुद में
होता है शर्मिंदा हर बार,
लगती है इसकी जो बोली बार बार।
दहेज कहो सीधे-सीधे, या कहो एक माँगा हुआ उपहार
हर मर्तबा करता है ये रिश्ते को शर्मसार।

हे जन्मदाता! रहते हो तुम भूखे पूरे वार,
फिर करते हो महादान, कन्या दान!
सिर अपना फिर क्यूँ झुकाते हो, ख़ुदको कम क्यूँ आँकते हो!
कमज़ोर नहीं है, वो नारी है
माँ दुर्गा सी न्यारी है!
वो बोझ नहीं है, ताकत है
माँ काली का ही स्वरूप है!
संग चलो, उसके हक़ में बढ़ो।
कुरीति का विनाश करो, लाखों का जीवन सँवारों
मानव जाति का उद्धार करो।

फर्ज़ है अदा करो!
खुशियों से श्रृंगार करो, काबिलियत से अलंकृत करो।
गुलज़ार हो चमन उसकी मौजूदगी से
ख़्वाहिश बने वो सबकी, ऐसी उसकी पहचान बनाओ।
और दहेज से तौबा करो,
ना दो, ना देने दो! Say no to dowry!!

#yqdidi #yourquote #marriage #life #girl #yqquotes #think_and_sharpen #sanjana_saxena
वंश को बढ़ाना हो, या ज़िंदगी को सँवारना हो
एक ही लफ्ज़ ज़ुबां पर आता है- शादी!
दो अक्षरों का ये शब्द, जो कि सम्पूर्ण है ख़ुद में
होता है शर्मिंदा हर बार,
लगती है इसकी जो बोली बार बार।
दहेज कहो सीधे-सीधे, या कहो एक माँगा हुआ उपहार
हर मर्तबा करता है ये रिश्ते को शर्मसार।

हे जन्मदाता! रहते हो तुम भूखे पूरे वार,
फिर करते हो महादान, कन्या दान!
सिर अपना फिर क्यूँ झुकाते हो, ख़ुदको कम क्यूँ आँकते हो!
कमज़ोर नहीं है, वो नारी है
माँ दुर्गा सी न्यारी है!
वो बोझ नहीं है, ताकत है
माँ काली का ही स्वरूप है!
संग चलो, उसके हक़ में बढ़ो।
कुरीति का विनाश करो, लाखों का जीवन सँवारों
मानव जाति का उद्धार करो।

फर्ज़ है अदा करो!
खुशियों से श्रृंगार करो, काबिलियत से अलंकृत करो।
गुलज़ार हो चमन उसकी मौजूदगी से
ख़्वाहिश बने वो सबकी, ऐसी उसकी पहचान बनाओ।
और दहेज से तौबा करो,
ना दो, ना देने दो! Say no to dowry!!

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