अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना पहले माज़ी का ज़ख़्म तो भर जाने दे आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी जो अपनों ने लगाया है उसे निखर जाने दे ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ कि कहूँ तुझसे मगर जाने दे #मुमताज ©BazmEyaaraan Mumtaz #gazal #urdu #Love #HeartBook