मैं मज़दूर हूँ, मेरी क्या गलती हैं? अपने घर जाना चाहता हूँ, इसमें क्या परेशानी हैं? हवाओं से उनको लाना सही हैं, ज़मीन से हमको पहुँचाना सियासत क्यूँ? मेरी ख़्वाहिश बस मेरे घर जाना हैं, इसमें इतने सवालियत क्यूँ? मैं आप सबकी हर बात सुनता हूँ, थोड़ी मेरी आज एक बार सुनलो? मैं मज़दूर हूँ, अपने घर से दूर हूँ, मैं तो आपके लिए काम करता हूँ, मैं आपकी मुसीबत बन चूका हूँ, ऐसा सुनने में क्यूँ? मैं मज़दूर हूँ, मेरी क्या गलती हैं? अपने घर जाना चाहता हूँ, इसमें क्या परेशानी हैं? +Saach #weather #poetryhouse #poem #HindiPoem #hindikavita #Poetry #kahani #Life #writersthoughts #writer