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चल माना के सब तेरी रज़ा है, गुनहगार हूँ मैं,ये क्या

चल माना के सब तेरी रज़ा है,
गुनहगार हूँ मैं,ये क्या मेरी खता है ?
 
हर शय की तकदीर तूने बनाई हैं तो बता 
खुशियां मेरे हिस्से की तूने की किस को अता हैं ?

 मयशर हैं हर सय बुतखाने के मुसाहिब को,
  पत्थरों में भी अब क्या खुदा हैं ?

मेरी हर मजबूरी का फायदा उठाती हैं दुनिया,
अब तो तू ही बता ये किसकी रज़ा हैं ? क्या मेरी खता हैं
चल माना के सब तेरी रज़ा है,
गुनहगार हूँ मैं,ये क्या मेरी खता है ?
 
हर शय की तकदीर तूने बनाई हैं तो बता 
खुशियां मेरे हिस्से की तूने की किस को अता हैं ?

 मयशर हैं हर सय बुतखाने के मुसाहिब को,
  पत्थरों में भी अब क्या खुदा हैं ?

मेरी हर मजबूरी का फायदा उठाती हैं दुनिया,
अब तो तू ही बता ये किसकी रज़ा हैं ? क्या मेरी खता हैं