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श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9, श्लोक 22 अनन्याश्च

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9, श्लोक 22 

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
 हिंदी में अनुवाद है:
यह श्लोक प्रेम भक्ति के महत्व को व्यक्त करता है। यह बताता है कि जो लोग सतत मेरे विचार में रहते हैं और एकान्त भक्ति में लगे रहते हैं, मैं उनके अभाव को स्वयं उठाता हूँ और उनकी संरक्षा करता हूँ। इस श्लोक के माध्यम से हमें भगवान के प्रति अनन्य भक्ति और निष्ठा के महत्व का ज्ञान प्राप्त होता है।
🙏❣️

©writer_Suraj Pandit गीता वाणी #subhvichar  Bobby(Broken heart) anudeep Dayal "दीप, Goswami.. Satyaprem Upadhyay बाबा ब्राऊनबियर्ड
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 9, श्लोक 22 

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
 हिंदी में अनुवाद है:
यह श्लोक प्रेम भक्ति के महत्व को व्यक्त करता है। यह बताता है कि जो लोग सतत मेरे विचार में रहते हैं और एकान्त भक्ति में लगे रहते हैं, मैं उनके अभाव को स्वयं उठाता हूँ और उनकी संरक्षा करता हूँ। इस श्लोक के माध्यम से हमें भगवान के प्रति अनन्य भक्ति और निष्ठा के महत्व का ज्ञान प्राप्त होता है।
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©writer_Suraj Pandit गीता वाणी #subhvichar  Bobby(Broken heart) anudeep Dayal "दीप, Goswami.. Satyaprem Upadhyay बाबा ब्राऊनबियर्ड