"विवशता विष से कम नहीं" (पूरी कहानी caption में पढ़िये) 'विवशता बिष से कम नहीं' "10 वर्ष बीत गये तुम्हे देखे हुये, काफी बड़ी हो गयी होगी अब तुम... " राजेश एक तस्वीर को सीने से लगा कर ऐसे ही कुछ बुदबुदा रहा था। तभी पीछे से आवाज आयी- "डैड आज भी आप डिनर करने में लेट कराओगे, चलिये दादी बुला रहीं हैं।" राजेश ने रुँधे स्वर में कहा 'तुम चलो विक्की मैं आता हूँ' डिनर का टेबल तैयार था। राजेश विक्की और विक्की की दादी और दादा,चारों टेबल में खाने के लिये बैठ चुके थे। एक अजीब सी खामोशी थी, आवाज आ रही थी तो सिर्फ प्लेट में लगते चम्मचों की। आखिर high so