ये चांद कब से छुपे हो तुम बादलों में एक बार अपने दीदार का मोका तो दो , मेरे इन खामोश लफ्जो को कुछ कहने का मोका तो दो , इस सर्द मौसम में भी, मेरी आंखो को मिलती नही ठंठक , तुम मुझे खुद को एक बार जी भर के देखने का मोका तो दो।। ©#Rahul #चांद #सर्द मोसम