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जिस दरवाज़े पर पैर मेरा ठहरा बहुत है, सुना है आज-

जिस दरवाज़े पर पैर मेरा ठहरा बहुत है, 
सुना है आज-कल वहां पहरा बहुत है।
कोई रिश्ता नहीं मेरा वहां जाने का, 
पर ताल्लुक़ जो भी है गहरा बहुत है।।
थक गया दे करके बार-बार आवाज़ें, 
शायद सनम मेरा बहरा बहुत है।।।

©Er VKB Shayar #Ambitions  hindi shayari sad shayari love shayari Ashutosh Mishra  Savitri  Parveen Kumar  VED PRAKASH 73  Kshitija  payal gujjar
जिस दरवाज़े पर पैर मेरा ठहरा बहुत है, 
सुना है आज-कल वहां पहरा बहुत है।
कोई रिश्ता नहीं मेरा वहां जाने का, 
पर ताल्लुक़ जो भी है गहरा बहुत है।।
थक गया दे करके बार-बार आवाज़ें, 
शायद सनम मेरा बहरा बहुत है।।।

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