जिस दरवाज़े पर पैर मेरा ठहरा बहुत है, सुना है आज-कल वहां पहरा बहुत है। कोई रिश्ता नहीं मेरा वहां जाने का, पर ताल्लुक़ जो भी है गहरा बहुत है।। थक गया दे करके बार-बार आवाज़ें, शायद सनम मेरा बहरा बहुत है।।। ©Er VKB Shayar #Ambitions hindi shayari sad shayari love shayari