कभी कभी हम सुबह को चाई नहीं बनाते बस थोड़ा सा अपने आपको लेते है थोड़ा तुझको चीनी की तरह हमारा प्यार घोलते है तेरा तीखापन अदरक बनता है और मेरा रूठना इलायची और फ़िर थोड़ा उबाल आने पर हम यादों को पी लेते है कभी कभी हम सुबह को चाई नहीं पीते थोड़ा इश्क पीते है। और सच्ची में वो सुबह हमारी चाई वाली सुबह से भी अधिक रूहानी होती है।