घिर आई है ,घनघोर घटा काली काली, अब होगी फिर वर्षा फुहारों वाली , बिखरेगी गीली मिट्टी की सुगंध न्यारी न्यारी, चारों ओर फैलेगी प्रकृति की छटा प्यारी प्यारी । प्रकृति का सौंदर्य बढ़ेगा,हरित रूप धरा धरेगी, कृषक मन आनंदित हो, अपने वह कर्म करेगा, वन वन मयूर का अब मन मोहक नृत्य होगा, वन उपवन कोकिल का कोमल स्वर गूंजेगा । कहीं ये मानव के लिए वरदान बन बरसेगा, कहीं ले रौद्र रूप , मानव के लिए दानव रूप धरेगा,। ©Dayal "दीप, Goswami.. घनघोर घटा बरसेगी,,,