मेरे उलझे हुए ख्वाबोँ तो तराज़ू देदे, मेरे भगवन मुझे मेरे जज़्बातों पे क़ाबू देदे मैं समन्दर भी किसी ग़ैर के हाथोँ से न लूँ, और एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे।