जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे by Rahat Indori