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जो इन्सान टूट चुका हो , भिखर चुका हो , वो इन्सान न

जो इन्सान टूट चुका हो , भिखर चुका हो ,
वो इन्सान ना कोई काम का ।

वो मजबूर हो जाता है , बेबस हो जाता है ,
हो जाता है तो बस जाम का ।

मैंने लिखा ख़ुदा को मेरा बुरा हो ,
ना बचु मैं ना रहूं मैं ये भेजा फरमान था ।

कि अब इस कद्र तड़प रहा हूं मैं , मौत को तरस रहा हूं मैं ,
अब मत तड़पा , मत सता ए ख़ुदा बना दे एक मकबरा मेरे नाम का ।

©Shyne #Poet #poem
जो इन्सान टूट चुका हो , भिखर चुका हो ,
वो इन्सान ना कोई काम का ।

वो मजबूर हो जाता है , बेबस हो जाता है ,
हो जाता है तो बस जाम का ।

मैंने लिखा ख़ुदा को मेरा बुरा हो ,
ना बचु मैं ना रहूं मैं ये भेजा फरमान था ।

कि अब इस कद्र तड़प रहा हूं मैं , मौत को तरस रहा हूं मैं ,
अब मत तड़पा , मत सता ए ख़ुदा बना दे एक मकबरा मेरे नाम का ।

©Shyne #Poet #poem
shantanuverma7644

Shyne

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