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सुप्रभातम नहीं मैं बाग में खिलता....नहीं बाजार में

सुप्रभातम
नहीं मैं बाग में खिलता....नहीं बाजार में मिलता,
उतर दिल के समंदर में, भँवर मझधार में मिलता।
नहीं मुश्किल पहेली मैं, अगर पाना कभी मुझको-
कभी दिल हार के देखो, प्रियम उस हार में मिलता। 
©पंकज प्रियम
महासप्तमी की ढेरों शुभकामनाएं, माँ कालरात्रि सारे विकारों का नाश कर आप सबों का कल्याण करे। हार में मिलता
सुप्रभातम
नहीं मैं बाग में खिलता....नहीं बाजार में मिलता,
उतर दिल के समंदर में, भँवर मझधार में मिलता।
नहीं मुश्किल पहेली मैं, अगर पाना कभी मुझको-
कभी दिल हार के देखो, प्रियम उस हार में मिलता। 
©पंकज प्रियम
महासप्तमी की ढेरों शुभकामनाएं, माँ कालरात्रि सारे विकारों का नाश कर आप सबों का कल्याण करे। हार में मिलता