हे दिल्ली क्या लाज न तुझको आई है किसी ने एक किसी ने दो किसी ने अपने तनय चार दिये। जब बात आयी देश के सम्मान की तो माँओं ने अपने सुत वार दिये।१। किसी का बेटा, किसी का पति,किसी का पिता न जाने किसका भाई है। जो गये सरहदों पर रखवाली को बहुतों की लाशें तक न वापस आयी है।२। हे दिल्ली.......... अपनों की राहें देखते-देखते ही न जाने हाँ हाँ न जाने कितनी आँखें पथराई है। तुमको लगता है तुमने दस बीस लाख में उनकी जानों की कर दी भरपाई है।३।