रैना रैना आई चांद संग,लेकर तारों की बारात। निखर रहा है आसमान,चांद तारों के साथ। जगमगा रही रात,टिमटिमाते तारों के साथ। महक रही रैना सुहानी,फूलों की खुशबू से। चांद खेलता अटखेलियां,चमकते तारों संग। महक रहा ये समां, ठंडे पवन के झोको संग। सो गया शोर रात में, तारों की खामोशी संग। बुन रहे है सब मधुर सपने निंदिया रानी संग। जाग रही है बस खामोशी,रैना के सन्नाटे में। सो चुकी है सूनी राहें,रातों के इस सन्नाटे संग। पैर फैलाए पसर रहा है,धरती पर ये सन्नाटा। ***रैना***