एक तरह मकबरा है किसी का, ओर एक तरफ किसी का किला है। हसरत ए दिल पर। जोर कब किस का चला है। मिट जो गए निशान, उन्हें याद तुम करोगे। लेकिन कदर न कर सके उसकी, जो सिर्फ तुमको मिला है। - अमित सक्सेना एक तरह मकबरा है किसी का, ओर एक तरफ किसी का किला है। हसरत ए दिल पर। जोर कब किस का चला है। मिट जो गए निशान, उन्हें याद तुम करोगे। लेकिन कदर न कर सके उसकी, जो सिर्फ तुमको मिला है।