आहत ~~~~~~ मन मेरा आहत हुआ, देख घोर अपराध। बुरे कर्म से लक्ष्य को, सभी रहे हैं साध।। बने निठल्ले चोर, और करते हैं चोरी। बनकर साहूकार, करें फिर सीनाजोरी।। लूट रहे हैं मौज, लूटकर लोगों का धन। इन्हें न आती लाज, हुआ पापी इनका मन।। अपराधी जन जन हुआ, कर कर हर अपराध। कार्मिक लेते घूस हैं, चलती नकल अबाध।। कामी करता 'रेप', तंत्र है भ्रष्ट बना अब। सुने नहीं सरकार, दलाल हुए नेता सब।। 'सौम्य सरल' गोपाल, लगी जग को है व्याधी। पाप बना है श्राप, हुआ जग है अपराधी।। ✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' #glal #yqdidi #कुण्डलियाँ_छंद #आहत_मन #आहत #restzone #rzलेखकसमूह