आज फिर सुबह उसी चिड़िया की चहचहाहट कान लगी, कोयल की कूक सुनाई दी, जिसने मुझे मेरी बचपन याद दिलाई। फर्क इतना था आज पूरी रात जगा था, बचपन में बेफिक्र पूरी रात सोता था, सुबह इन्हीं के आवाज़ से बेपरवाह आंखें खुलती थी। फिर स्कूल कि राह पे मैं निकल पड़ता था। ©Ankit Vatsa वो बचपन का सावन , वो कागज की कश्ती ,वो बारिश का पानी #बचपन #सबेरा #सुबह #दिल #Morning