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जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है। ये जिन्दगी ने क्या

 जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है।

ये जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है ,
दो रोटी के लिए धुप और वारिश मे जलाई है।
कभी बच्चे भुखे ना सो जाय इसलिए दिन रात अपनो को जलायी है।
ये जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है।

ज्योति
 जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है।

ये जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है ,
दो रोटी के लिए धुप और वारिश मे जलाई है।
कभी बच्चे भुखे ना सो जाय इसलिए दिन रात अपनो को जलायी है।
ये जिन्दगी ने क्या खुब अजमाई है।

ज्योति
jyotikumar5194

Jyoti Kumar

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