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अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है इक नज़र

अपनी  तस्वीर को  आँखों से  लगाता क्या है 
इक नज़र  मेरी तरफ़ देख तेरा जाता  क्या है 

पास रह कर भी न पहचान सका तू मुझ को 
दूर  से  देख  के  अब  हाथ  हिलाता  क्या है

मैं तेरा  कुछ भी नहीं हूँ मगर  इतना तो बता 
देख कर मुझ को तिरे ज़ेहन में आता क्या है

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️शहज़ाद अहमद♥️✍️

✍️♥️शहज़ाद अहमद♥️✍️ #शायरी

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