#DaughtersDay बेटी क्यों कहते हो, मुझे पराया 'मां'? तेरे आंगन की फुलवारी हूं। क्यों नहीं है, पापा यह घर मेरा? मेरे बचपन की यह कियारी है। क्यों छोड़ते हो, मेरा साथ भाई? तेरे बचपन की मैं साथी हूं। ऐसे ना छोड़ो अकेला कभी, मुझ पर भी तुम्हारा अधिकार है। जाना तो एक दिन है मुझे मां, पर पराया कह कर न चिढाओ मुझे। रह नहीं सकती हूं तुम बिन, तुम ही तो मेरा पहला परिवार हो। याद करके तुम मुझे रोना नहीं, याद आने पर तुम बुलाना। चली आऊंगी दौड़कर में, तुम चाहे कभी भी बुलाना। दिल की तरह ही घर में जगा देना, मेरा भविष्य हो तुम मुझे सवारना।। -शीतल शेखर "अनमोल रतन होती हैं बेटियां"