लॉकडाउन में बाहर से दूर अन्दर से अपने पास होती चली गयी कटकर बाहरी दुनिया से अपने मन की दुनिया में रमती चली गयी जो पता न था ख़ुद के बारे में नित नये रूपों से परिचित होती चली गयी हृदय में उमड़ते-घुमड़ते भावों को काग़ज़ पर नवीन संदर्भों में उकेरती चली गयी लॉकडाउन में चारदीवारी में बन्द हो काग़ज़-कलम के परों से उड़ती चली गयी 🌹 Hello Resties!❤️ #RZToPoWriMo4 is for you to write a POEM on the topic My Lockdown Diary/ मेरी लॉकडाउन डायरी • Write about your lockdown experiences as a poem. • You can attempt it in both Hindi and English 😁