ज़हर को ज़हर मारता है कुछ होश की दवा कर ना, उसका क्या करें जो रोटी की खातिर नशे बेचता है। दरअसल कीमत तो बीमारी की है दवा की नहीं है, अच्छे भले को, भला कोई दवा बेचता है।