कहीं नहीं मिलेगा ना ढूंढ जगत में मीत अपना यहां कोई नहीं झूठी यहां कि सब प्रीत संतुष्टि खुद में मिलेगी खुद का बन मनमीत जिसकी खुद से दोस्ती वही है असली जगजीत दो दिन का सब खेल है क्यों व्यर्थ होना भयभीत ©_बेखबर #Sad_Status poetry poetry in hindi hindi poetry sad urdu poetry hindi poetry on life