मोहब्बत हुई थी वतन से सरहद को जो चूमना था इज़हार करना था हमें प्यार का इम्तिहान जो मौत को देना था मेरी भी कोई हस्ती है बड़ी सिपाहियों में यहाँ बहाके लहू खुद को सरफ़रोशी जो करना था लहराना था तिरंगा आसमान में मस्तकों के कपाल से लिपटकर कफ़न में हमें नाम जो शहीदों में करना था #glal #sarfroshi #hindipoetry #hindikavita #hindipoet #hindipoem #yqbaba #yqdidi