Unsplash चलो अच्छा हुआ यारा कभी हम मिल नहीं पाए जो देखे ख्वाब थे हम ने कभी मंजिल नहीं पाए नहीं आई कोई भी शाम जो मन को लुभा जाए नहीं देखा कभी ऐसा जो मन बेकल सा हो जाए खिलाके प्यार की कसमें कोई हमको ही छल जाए चलो अच्छा हुआ यारा कभी ही हम मिल नहीं पाए ©ANOOP PANDEY #Book unnti singh Kshitija